हमारे हिस्से का जंगल, हमारे पास रहने दो,
सुधर जाओ अब मानव, प्रकृति में सांस रहने दो।
तुम्हारे आने से रोती , यहां हर डाल की कलियां,
अभी धरती ये जिंदा है, अचल आकाश रहने दो ।

Hindi Shayri by Chirag Vora : 111949289
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