“सब कुछ लुटा के होश में आये तो क्या किया? “
“हम बदनसीब प्यार की रुसवाई बन गये -२
ख़ुद ही लगा के आग तमाशाई बन गये,
तमाशाई बन गये
दामन से अब ये शोले बुझाये तो क्या किया?
दिन में अगर चराग़ जलाये तो क्या किया?
सब कुछ लुटा के होश में आये तो क्या किया? -२”
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