छीन के हक सरकार, आपकी बदौलत,
दुभर ज़िंदगी रफ़्तार आपकी बदौलत।
ज़ुल्म-ओ-सितम सउर का सिलसिला है,
दिल पे लगे सौ वार, आपकी बदौलत।
तराजू इस बार रूक सी गई है मालिक,
रिश्वत इतला ए राय, आपकी बदौलत ।
हाल-ए-दिल कहने से भी डर है लगता,
हरजगह खौफ ए खफार, आपकी बदौलत ।
मुल्क की सरहद पर है हर वक्त यु खतरा,
राम! अमन हालत खराब आपकी बदौलत ।
बेनाम रहें वो, जो अपने हक से भी महरूम,
मुजमिल, सारा है इंकार, आपकी बदोलत।
ये इश्क भी अब तो बाज़ार में बिकता,
उल्फ़त का है असरार, आपकी बदोलत।
होशे हवास जुनून हर किसी के दिल में,
नफ़रत जिन्दगी गुजार, आपकी बदोलत।
खुशहाली का ख़्वाब अब तो है न मुमकिन,
फ़क़त रूह का है इज़हार, आपकी बदोलत।
अमन-ओ-अमान का तो सिर्फ अफसाना है,
सजा असला जंग ए मैदा, आपकी बदोलत।
आसमान भी नम है, ज़मीन यकि गमगीन,
क्यु सब बिखरी गर्दिश, आपकी बदोलत।
© जुगल किशोर शर्मा बीकानेर