शायरी
“बे वजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है ?
मौत से आँख मिलाने की ज़रूरत क्या है ?
सबको मालूम है बाहर की हवा है कातिल,
यूँहीं कातिल से उलझने की जरुरत क्या है ?
ज़िंदगी एक नेमत है उसे सम्भाल के रखो
क़ब्रगाहो को सजाने की जरुरत क्या है ?
दिल बहलाने के लिये घर में वजह है काफ़ी
यूंही गलियों में भटकने की जरुरत क्या है ?”
❤️