रहगुजर जाते है जमाने बिना बात के
शिकवा ए सजा रखी है बिना बात के
सिहर जाते है सफरनामे बिना बात के
मुफत हरारत सजाए है बिना बात के
दिल ए बात लबों तके जताए ना सके
दिल को भी है शुकून सा, बिना बात के
चादनी चाँद से बातें हुई कहा ना सके
आज नींद भी रूठ गई, बिना बात के
मोहब्बत के सिलसिले यूं ही चला ना सके
बेदिली से दिल का रिश्ता, बिना बात के
जीवन का सफर है कुछ चसका ना सके
राही ए मंजिल भी है ढूंढी, बिना बात के
आंसू थके हैं खुद ब खुद सह ना सके
कुछ ए आँखों में नमी है, बिना बात के
ग़ज़ल का हरेक मिसरा यूं ही दिखा ना सके
शायर भी मस्त बेहाल भी है, बिना बात के
जुगल किशोर शर्मा - बीकानेर