तारों के तेज में चन्द्र छिपे नहीं
सूरज छिपे नहीं बादल छायो

चंचल नार के नैन छिपे नहीं
प्रीत छिपे नहीं पीठ दिखायो

रण पड़े राजपूत छिपे नहीं
दाता छिपे नहीं मंगन आयो

कवि गंग कहे सुनो शाह अकबर
कर्म छिपे नहीं भभूत लगायो।
🙏🏻

Hindi Quotes by Umakant : 111928021

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