प्यारा साथी।
प्यारा साथी किताब है मेरा। जरा सा भी किताब
का साथ नहीं मिलता है तो मन बेचैन हो उठता है।
किताब में लिखे गए शब्द मेरे लिए धरोहर है। एक
पैरा पढ़ने के बाद दूसरे पैरा का इंतजार रहता है।
परन्तु जीवन की दिनचर्या भी सबकी अलग-अलग
होती है। तो वक्त नहीं मिलता है।ऐसी परिस्थितियों में
मनुष्य चाह कर भी किताब पढ़ने में सक्षम नहीं हो सकता है। मेरे लिए तो सब तरह से किताब ही प्यारा
साथी साबित होता है।
किताब को सखि के रुप में देखते हैं तो एक एक। शब्द में रस भर जाता है। यही उत्कंठा हमें। पढ़ने को प्रेरित करती है। धीरे-धीरे यह एक अलग पहचान बनाती है और हमें किताब की दुनिया में
सैर करने के लिए अग्रसर करती है। नयी नयी
अनुभूतियां मिलती हैं। मन में विचारों के समुद्र मंथन
चलते हैं। उस समय यदि कोई गलती से भी आवाज
देते हैं तो फिर किताब में लिखे गए शब्द हमें उठने
नहीं देती है और यह प्यारा साथी के रुप में मेरे
मन में बस जाती है।
सुबह जगते ही किताब के शब्द हमें प्रेरणा देते हैं।
चल राही चल अब हो गया है सबेरा अर्थात पढ़ने
की वेला। मन मतंग मत बन और पढ़ता रह , चलता
चल जीवन में आगे बढ़ते चलो। सबसे मिलो और
किताब के गुण गान करते रहो। किताब के साथ रहो।
किताब मेरा प्यारा साथी बने आज बसंत पंचमी पर
मेरी मां शारदे से यही प्रार्थना है।
जय हो मां शारदे। बसंत पंचमी पर शुभकामनाएं एवं बधाइयां सबको।
कोटि-कोटि प्रणाम मां शारदे।
-Anita Sinha