बसंत पंचमी।
मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस को हम
बसंत पंचमी पर्व कहते हैं। भगवान श्री ब्रह्मा जी के मुख से बसंत पंचमी के शुभ दिन पर
मां सरस्वती जी प्रकट हुई थीं।शीत ऋतु की समाप्ति पर बसंत ऋतु मतलब कि ऋतुराज बसंत का आगमन होता है। बसंतोत्सव मनाएं आज मां सरस्वती जी के शुभ जन्म
दिवस पर एवं शुभकामनाएं एवं बधाइयां
विश्व को अग्रसारित करें हे मां शारदे। विद्या
धन रत्नों की खान तुम हो हे मां शारदे।
तेरी पूजा करें हे मां शारदे। ना जानें हम
पूजा और ना जाने अर्चना हे मां शारदे।
पूजा की विधि बतला दे हे मां शारदे।
पान, सुपाड़ी, अक्षत, श्वेत कमल , तुलसी दल, आम्र मंजरी , सिंदूर , श्वेत वस्त्र,रोली,पीले चंदन, पीले फूल,कलम, किताब,कापी , स्फटिक माला, कमल फूलों
के हार , सात फल जैसे - केला, अमरुद, सेव, मिश्री कंद , गाजर , नारियल , शकरकंद, बताशा ,खजूर , लौंग, इलायची,
आम्र पल्लव पांच पत्ते वाले, लाल गमछा,
मंगल कलश , मिष्टान्न , दही, दूध, गंगा जल, गुड़ ,धूप दीप , हवन सामग्री तेरे चरणों में
चढ़ाएं हे मां सरस्वती मां वीणा वादिनी
मां शारदे।
वीणा हस्त धारिणी हे मां शारदे।
वीणा हाथ में लेकर अवतरित हुई हो तुम
हे मां सरस्वती हे मां शारदे। संसार को स्वर
देकर मुखरित किया तुमने ही हे मां शारदे।
जय हो मां शारदे। इससे पहले स्वर कहां
था हे मां शारदे। जय हो मां स्वर दायिनी
हे मां शारदे।
बसंत पंचमी पर्व पर सरस्वती पूजा करने
का अधिकार दे हे मां शारदे। सोने सिंहासन विराजो हे मां शारदे। गंगा जल से तेरे पद पंकज पखारें हे मां शारदे। सात सुहागिनें मिलकर तेरा सोलह श्रृंगार करें हे मां शारदे।
लाल पाड़ श्वेत रेशमी साड़ी , सिंदूर , चूड़ी,
आलता , बिंदी , नेलपालिश , मेहंदी , काजल, लाल चुनरिया , कान में कर्णफूल,
टीका , चंद्रहार चढ़ाएं हे मां शारदे।
पूजा की वेदी बनाकर कलश स्थापना करते हैं। गोबर से लीप दिया गया है। स्वस्तिक चिन्ह बनाते हैं। मंगल कलश स्थापना करते हैं। स्वस्तिक चिन्ह बनाते हैं।
कलश पर आम्र पल्लव रखते हैं। पांच टीका
रोली से लगाते हैं। शीश वाले नारियल रखते हैं, अब
उस पर लाल गमछा रखते हैं। कलश के
अगल बगल में स्वस्तिक चिन्ह बनाते हैं।
मां सरस्वती जी के शुभ जन्म दिन पर पूरे
घर में आज अल्पना बनाई है।
पूजा स्थल पर अल्पना बनाई है। पूजा
स्थल पर वंदनवार लगाते हैं। आम पल्लव
से घर के द्वार सजाते हैं। पीले फूलों के मां सरस्वती को हार पहनाए जाते हैं। दोनों हाथ में कमल फूल और स्फटिक माला सजाते हैं। दाएं हाथ में कलम सेवा करते हैं।
अखंड ज्योति जलाए जाते हैं। शंख ध्वनि होती है। मंगलाचरण होता है। पंडित जी मां शारदे की पूजा विधि विधान से करते हैं। पंचामृत प्रसाद अर्पित करते हैं। उसके बाद मां सरस्वती वंदना किए गए। अब मां
सरस्वती स्तोत्र तथा स्तुति करते हैं। भक्ति भाव से परिपूर्ण होकर सभी श्रद्धालु गण
मां सरस्वती जी के चरणों में जयकारे लगाते हैं। अब पूजा संकल्प किया जाता है। आज
एक सौ आठ दीप ज्योति प्रज्वलित करते हैं। घंटा लगातार बजते हैं। मां सरस्वती जी
की पूजा करने के बाद पुष्पांजलि अर्पित
करते हैं। तत्पश्चात् धूप दीप और आरती
करते हैं। शांति पाठ करते हैं। शांति जल छिड़का जाता है। पंडित जी सभी लोगों को मंगल टीका लगाते हैं। रक्षा सूत्र बांधते हैं।
तत्पश्चात् हवन पूजन किया जाता है। जिन्हें हवन में आहुतियां देनी होती है वे लोग
आहुतियां देकर पूजा पूर्ण करते हैं।
फिर पंडित जी के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम करते हैं। अब प्रसाद वितरण किया जाता है। पंडित जी के चरणों में प्रणाम करके दान दक्षिणा देकर कृतकृत्य होते हैं।
इस तरह आज बसंत पंचमी पर्व मतलब कि मां शारदे के शुभ जन्मोत्सव बसंतोत्सव
मनाया जाता है।
* यद्क्षरं पथभ्रष्टं मात्रा हीनं च यद्भवेत्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरी*।
अब मां सरस्वती के चरणों में श्रद्धा भाव से परिपूर्ण होकर कोटि-कोटि प्रणाम करते हैं।
जय हो मां शारदे आज अकिंचन दासी अनिता के द्वारा मां सरस्वती जी पर लिखी
रचना को शुभकामनाएं एवं बधाइयां विश्व के
लिए अग्रसारित करें । कृपा करो मां शारदे।
हर दिन हो बसंत पंचमी शुभ बसंतोत्सव
मां सरस्वती जी का पावन त्यौहार।
बना रहे सुख शांति और मंगलमय आनंद मय परिवेश यही मांगती है अनिता
दासी अकिंचन्य तेरे चरणों में देकर दंडवत प्रणाम सबकी सलामती का आशीष अशेष।
तेरी कृपा जो होवे तो आवे फिर यही शुभ
दिवस बसंत पंचमी बसंतोत्सव शुभ जन्मोत्सव मां शारदे का जो है अति मनभावन और पावन परम पुनीत
सुवासित सुमंगल विशेष।
तेरी होवे जय-जयकार हे मां शारदे।
जय हो मां शारदे जय हो मां शारदे।
जय जय जय हे मां सरस्वती मां शारदे।
-Anita Sinha