मैं और मेरे अह्सास
जिंन्दगी तेरे लिए बहुत सितम सहे l
दर्दो गम को सहकर भी चुपचाप रहे ll
दुनिया वालों की अच्छी बुरी बातों को l
खामोश रखकर सुना बिन कुछ कहे ll
किस्मत के साथ वफ़ा निभाते हुए सखी l
रुसवाई से बचाने को अश्क भीतर बहे ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह