मैं और मेरे अह्सास
दूर होने से तो रिश्ते नहीं टूटा करते l
हाथ साथी के कभी नहीं छुटा करते ll
दिल के तयखानो में छिपी हुई प्यारी l
यादों से लम्हों को नहीं लुटा करते ll
चुभ जाता है दिल में खंजर की तरह l
शब्दों के निशान कभी नहीं मिटा करते ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह