जय जगन्नाथ।
जय जय हे जगन्नाथ दर्शन दो हे जगन्नाथ।
तेरे बिना हम तो हैं अनाथ हे जगन्नाथ।
हम आए हैं तेरे धाम हे जगन्नाथ।
जय जगन्नाथ जय जगन्नाथ के जयकारे से
गूंजती है जगन्नाथ पुरी नगरी ।
कृपा की बरसात कर बुला लो अपनी नगरी
जय जगन्नाथ जय जगन्नाथ जय जगन्नाथ
तेरे बिना हम तो हैं अनाथ हे जगन्नाथ।
तेरे चरणों में रहने की आस लगी है
तेरी भक्ति करने की प्यास जगी है।
कब आओगे मेरे आंगन में हे जगन्नाथ।
घर द्वार फूलों से सजाएं सतरंगी बनाएं
फूलों के छज्जे और छाजन हे जगन्नाथ।
पधारो रथ पर होकर सवार हे जगन्नाथ।
पुआ पुड़ी पकवान और बनाएं छप्पन भोग
पाएं आशीष तेरा जैसे दिखे मन में कृष्ण
मिताई जोग।
पहनाएं पीले फूलों का हार हे महाप्रभु जगन्नाथ।
तुलसी दल गंगाजल अक्षत पीले चंदन चढ़ाएं।
विराजो स्वर्ण सिंहासन जय जय हे जगन्नाथ।
पीले वस्त्र अर्पित करें और पट पीताम्बर शोभे
तेरे तन हे जगन्नाथ।
हे चतुर्भुजी नारायण बद्री विशाल शंख सुदर्शन
चक्र धारी।
हो जीवन अब तेरे चरणों में समर्पण
हे सहस्रबाहु नारायण वृन्दावन बिहारी।
हम आए हैं शरण तिहारी।
फल फूल और प्रसाद चढ़ाएं।
धूप दीप और आरती करें।
तेरे रज रज दर्शन पाएं
जय हो जय हो जय हो जगन्नाथ
तेरा पावन तीर्थ धाम जगन्नाथ पुरी।
तेरे चरणों से लगा धाम बुला गर
अब तुम बनाओ हमें सनाथ हे जगन्नाथ।
सागर दर्शन हो दिनचर्या मेरी हे जगन्नाथ।
जीवन दर्शन में हो समाया तेरा वंदन।
विनती सुनो हे जगन्नाथ मैं तो आया तेरी शरण।
सागर के लहरों की अठखेलियों में बसा मनमोहन
रूप तेरा हे भुवनेश्वर जगदीश्वर जगदीश ।
युक्ति ऐसी बनाओ नित नित हो दर्शन
हे महाप्रभु जगन्नाथ जगदीश।
जाने अंजाने भूल को क्षमा करना
और मेरे मन में बस जाना हे अंतर्यामी
पुरूषोत्तम जनार्दन सत्य नारायण स्वामी।
कोटि-कोटि प्रणाम हे जगन्नाथ।
-Anita Sinha