सपनों की चाह में
अपने शहर गांव से बिछुड़ गए
उनके पीछे भागते-भागते
अपने माता-पिता से बिछुड़ गए
बेहतर अवसरों की तलाश में
अपने दोस्तों, परिवार से बिछुड़ गए
अपनी आकांक्षाओं के पीछे भागते-भागते
जिंदगी की छोटी छोटी खुशियों से बिछुड़ गए
जब जिन्दगी से बिछुड़ने का समय आया
तब समझ आया
हम तो जिंदगी की जिंदादिली से
बहुत पहले ही बिछुड़ गए
✍️🌹देवकी सिंह🌹