आघी बात से तो मैं आई थी।
खामोशी के साथ मिले थे हम।
ठहरें हुऐ किनारो पे मिलना था हमें।
रुला के नैनो के बीच हंसी पे मिली थी मै।
बिना पंख के मिली थी में।
तेरी यादों की जगह नहीं थी मिलने मै।
खुली आंखों के सपनों में मिली थी में।
वक्त पूरा हो गया तुझे छोड़ने के लिए मिली थी मै।
खेल तो खेला था एहसासों का।
मैदान छोड़ के भागी थी मैं।