Hindi Quote in Poem by rashi sharma

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तराशना ...................................



दुनिया ने खुद को जौहरी समझ लिया,

हीरा तलाशते - तलाशते लोगों में ऐब निकालना भी सिख लिया,

कुछ कहते है तो हम बुरे बनते हैं,

चुप रहने को वो हमारा घमण्ड़ कहते हैं,

कैसे कहे की हमने उन सबको जवाब देना बंद कर दिया,

दुकान पर जााते है उनसे हीरा खरीदने,

हमने अब उनको सुनना छोड़ दिया ......................................



हम खुद को खुद ही संवार लेगें,

संभालने पर आएगें तो हम तुमको भी संभाल लेंगे,

बताओ तो ज़रा हमने कब किसी में ऐब ढुढ़े,

हमने तो गैरों में भी अच्छे विचार ढ़ुढ़े,

ना जाने क्या मिलता है लोगों को किसी और कि ताका छाकी में,

सुकून कैसे मिले किसी और की खुश मिज़ाजी में,

मैं तो हर किसी को ईश्वर का उपहार समझती हूँ,

उसने तराशा है मुझे जिसके लिए में उसको शुक्रिया कहती हूँ ..........................................



स्वरचित

राशी शर्म

Hindi Poem by rashi sharma : 111908018
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