“प्रेम की है ये आग सज्जन जो
इधर उठे और उधर लगे
प्रेम की है ये आग सज्जन जो
इधर उठे और उधर लगे
प्यार का है ये तार पिया जो
इधर सजे और उधर बजे
तेरी प्रीत पे बड़ा हमें नाज़ है
मेरे सर का तू ही रे सरताज है
यूँ चुप न सकेगा परमात्मा
मेरी आत्मा की ये आवाज़ है”
🙏

Hindi Song by Umakant : 111894533
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