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मैं चाहूं तुम्हे ज़ाना इतना मैं चाहूं तुम्हे ज़ाना इतना... खामोशी में भी वफ़ा तुझी से ज़ाना दिल करता है सदके तेरे तेरी बाहों बना मेरा आशियां मैं चाहूं तुझे ज़ाना इतना खामोशी में भी वफ़ा तुझी से ज़ाना ये ठंड हवा जो चलती है वो तेरी छुअन सी लगती है जो ज़मीं पर चलूं तो तेरा सफर वो लगती है किसी ओर पहुंचूं मैं तुझ तक ये आहे कहती है मैं चाहूं तुझे हद तक मेरा वजूद इसे ठहरा है मैं चाहूं तुम्हे जाना इतना खामोशी में भी वफ़ा तुझी से ज़ाना किस ओर खड़े हो तुम किसी छोर पे मैं अटकी हूं तुम ही हो मेरे हिस्से ये मान के बैठी हु किसी ओर न अब चलना बस तुझ पर चलना है तू भले हो चांद सा मुझे तुझे ही तकना है मैं चाहूं तुझे ज़ाना इतना ख़ामोशी में भी वफ़ा तुझी से ज़ाना जो प्यार तुझसे वो उतना ही था मुझमें जो और बाकी हो मुझमें वो भी वारु मैं तुझपे ना चाह कोई मेरी ना कोई निशाना है हर बात तू ही है और तू ही फसाना है मैं चाहूं तुझे ज़ाना इतना खामोशी में भी वफ़ा तुझी से ज़ाना
किसी के जाने का दर्द कभी कम नहीं होता वो वक्त के साथ साथ कम नहीं होता वो गहरा होता जाता है अंदर ही अंदर किसी ब्लैकहोल की तरह हो जाता ह जोै कहने के लिए एक छोटा सा बिंदु है पर उसका असर बहुत विस्तृत है चारों ओर हैं फिर भी दुनिया से अदृश्य है।
सबका भला कर ए मालिक सबको साथ दे सबकी शांति का ख्याल रख एक तू ही तो है जो बिना रिश्ते के भी सबका है - rakhi jain
इस भरे शहर में अपना ढूंढ रहे हो सबकी आंखों में प्यार ढूंढ रहे हो ढूंढने से प्यार मिलता नहीं है प्यार मिलता तभी है जब होता है - rakhi jain
स्त्री ने जब भी दिया हैं पाए से ज्यादा ही दिया है और अपेक्षा की हैं तो संभावित से भी कम की हैं
एक और तनहा दिन हमारे नाम आया अकेले दिल में एक ख्याल आया क्या हो अगर उन्हें हमारा ख्याल आ जाए क्या हो अगर उन्हें भी हमारा नशा हो जाए यू तो हमें भूले नहीं है पर हमारे जैसा उन्हें प्यार आ जाए या आ जाए उन्हें भी थोड़ी फिक्र हमारी या जलन से उनके मन में भी छा जाए काली कोई आ जाए हमारे आस पास भी उनसे बेहतर और चाहे हमें उनसे बढ़कर फिर हम भी उन्हें वो तवज्जू न दे पाए वो भी सोचे हमारी कमी और थोड़ा ग़म खाएं वो देखे क्या रह गई कमी निभाने में वो भी सोचे क्या लगते है हम बेगाने वो जान ले की उनको यू कोई चाह न पाएगा इकरार कितना भी कर ले यूं निभा न पाएगा न कोई रख पाएगा यूं तेरी अच्छाइयों का हिसाब कोई गिनेगा भी तो तुझमें खोट हजार वो तो हम है तेरी बेरुखी को भी दिल से लगाए रखते है तेरी गैर मौजूदगी में भी तुझसे राबता करते रहते हैं तेरे ख्यालों में खोए रहते है सिवा तेरे कही और न देखते है पर ये सब न हो कर भी हो रहा है न चाहे तुमको वो मुश्किल हो रहा है जख्म भी वो बेबसी भी वो वजह भी वो दावा भी वो कभी वो समझे ऐसे भी हमें ......incomplete sorry
दिल उसकी गुलामी करना कभी नहीं छोड़ता जिसे एक बार अपना मान ले
प्यार तड़प हैं प्रेम अनंत हैं प्यार बिछोह हैं प्रेम स्वयं हैं प्यार लेखा जोखा हैं प्रेम निस्वार्थ हैं प्यार प्यास हैं प्रेम तपन हैं प्यार बेसब्र हैं प्रेम अडिग है प्यार करुण हैं प्रेम करुणा हैं प्यार बंटा हैं प्रेम सहज है प्यार परीक्षा हैं प्रेम सदैव हैं प्यार नफरत हैं प्रेम प्रगति हैं प्यार बेबस हैं प्रेम दयालु हैं प्यार वफ़ा हैं प्रेम पूजा हैं प्यार दगा हैं प्रेम क्षमा हैं प्यार परिवर्तन हैं प्रेम स्वीकृति हैं प्यार उम्र हैं प्रेम निहित है
कभी वो भी चुने मुझे ऐसे... जैसे इस दुनिया में कुछ था ही नहीं मेरे अलावा - rakhi jain
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