*दोहा सृजन हेतु शब्द--*
*दर्पण, उपहार,विराम, हरा-भरा,समीर*
१ दर्पण
नित-दर्पण में झाँकिए, निरखें अपना रूप।
अंदर-बाहर एक से, गुण हों सुखद अनूप।।
२ उपहार
दिया सुखद उपहार है, ईश्वर ने अनमोल।
मानव रूपी धर्म से, चखते अमरत घोल।।
३ विराम
सभी विवादों पर लगा, अब तो पूर्ण विराम।
कश्मीरी परिक्षेत्र में, हुए सृजन के काम।।
४ हरा-भरा
हरा-भरा यह देश है, इसका रखना ख्याल।
सबका ही कर्तव्य है, बढ़ें न व्यर्थ बवाल।।
५ समीर
धरा प्रफुल्लित हो गई,ऋतु आई बरसात।
बहने लगा समीर है, मिली मधुर सौगात।।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "
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