"जिंदगी की चाय"
फिजां में घुल रही है महक अदरक की,
आज सर्दी भी चाय की तलबगार हो गई ।
अदाएं तो देखिए बदमाश चायपत्ती की,
जरा दूध से क्या मिली शर्म से लाल हो गई ।
थोड़ा पानी रंज का उबालिये,
खूब सारा दूध ख़ुशियों का,
थोड़ी पत्तियां ख़यालों की,
थोड़े ग़म को कूटकर बारीक,
हँसी की चीनी मिला दीजिये.
उबलने दीजिये ख़्वाबों को कुछ देर तक!
यह ज़िंदगी की चाय है जनाब,
इसे तसल्ली के कप में छानकर
घूंट घूंट कर मज़ा लीजिये !!!
अज्ञात