मैं और मेरे अह्सास
खिली फिझाओ में दिल बहलाने आए हैं l
इन बहारो में खुशी के गीत गुनगुनाए है ll
सालों के इंतजार के बाद मिले हुए l
हम खयाल के साथ कदम मिलाए है ll
जिगर में हौसलों से सँवर सँवर कर l
गुलिस्तां में प्यार के फूल खिलाए है ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह