कुछ याद पुरानी आती है
मै खुद को तुम मे पाती हूँ।
तेरी यादो को सिरहाने रख
मै फिर थककर सो जाती हूँ।।
रातो की तन्हाई मे
एक गुमनामी सी छाती है।
इन तारो की बारातो मे
कुछ सूनापन सा लगता है।।
तेरी कदमो की आहट से
ये दिल धक से कर जाता है।
सांसो मे सिहरन होती है
मन व्याकुल सा हो जाता है।।
तब तक घड़ी का अलार्म भी टन - टन कर बज जाता है।
ये आँखे फिर खुल जाती है
सपनो की दुनिया कही खो जाती है।।
कुछ याद पुरानी आती है
मै खुद को तुम मे पाती हूँ ।
मीरा सिंह
-Meera Singh