एक चेहरे पर हजारो चेहरे लगा लेती हूँ मै।
हँसकर की गमो को छिपा लेती हूँ मै।।
तुम्हे तो मुझमे कुछ भी पसंद नही।
इसलिए खुद को कभी - कभी बदल लेती हूँ मै।।
ये साज श्रृंगार इनसे कोई नाता नही मेरा।
फिर भी तेरे लिए इनको लगा लेती हूँ मै।।
सजना नही आता मुझे तो मै क्या करूँ।
इसलिए तेरी यादो से खुद को भीगो लेती हूँ मै।।
मीरा सिंह
-Meera Singh