मैंने सीख लिया है जीना।
ऐसे ही।
कट जायेंगे सब दिन ऐसे वैसे भी।
गागर में सागर ले आना सब के बस की थोड़ी है।
लेकिन मैं तो लगा पड़ा हूं।
चाहे मुश्किल हो जैसे भी।
नींद त्याग दूंगा संघर्ष जपूंगा।
भले सफल हो जाऊं लेकिन नही रुकूंगा।
होना सफल नहीं है कोई अभिलाषा।
मृत्यु चुनो या मोक्ष वही है परिभाषा।
करुणा भरी पुकार बनेंगे लोग तुम्हारे हितकर होंगे।
लेकिन अडिग बने रहना वरना खाओगे धोखे।
अब तो वक्त नहीं है की बैठे और सोचे।
आओ बनकर बाज आज नीलाचल नोचे।
-Anand Tripathi