🙏🚩 *गुरु पूर्णिमा से जुड़ी जानकारी:*🚩
🙏 कृष्णं वंदे जगदगुरूम् 🙏🏻
हमारे शास्त्रों में गुरु को भगवान का स्थान दिया गया है। संत कबीर जी ने भी गुरु की तुलना भगवान से करते हुए कहा है,
गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताए।।
अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया ।
चक्षुरुन्मीलितं येन
तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
अर्थात् जिसने ज्ञानांजनरुप शलाका से, अज्ञानरुप अंधकार से अंध हुए लोगों की आँखें खोली, उन गुरु को नमस्कार ।
विद्वत्त्वं दक्षता शीलं सङ्कान्तिरनुशीलनम् ।
शिक्षकस्य गुणाः सप्त सचेतस्त्वं प्रसन्नता ॥
अर्थात् विद्वत्व, दक्षता, शील, संक्रांति, अनुशीलन, सचेतत्व, और प्रसन्नता – ये सात शिक्षक के गुण हैं ।
गुकारस्त्वन्धकारस्तु
रुकार स्तेज उच्यते ।
अन्धकार निरोधत्वात्
गुरुरित्यभिधीयते ॥
अर्थात् ‘गु’कार याने अंधकार, और ‘रु’कार याने तेज; जो अंधकार का (ज्ञाना का प्रकाश देकर) निरोध करता है, वही गुरु कहा जाता है ।
मान्यताओं के अनुसार, गुरु पूर्णिमा के दिन परम ज्ञानी महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। सदियों से महर्षि वेदव्यास के जन्म पर गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन की परंपरा चली आ रही है। वेद व्यास जी को महाभारत जैसे कई महान ग्रंथों और पुराणों की रचना के लिए सनातन धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। व्यास जी ने ही वेदों को अलग-अलग खंडों में भी बांटने के बाद उनका नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद रखा। वेदों का इस प्रकार विभाजन करने के कारण ही वह वेदव्यास जी के नाम से प्रसिद्ध हुए।
जैसा कि ये कहा जाता है कि किसी भी समाज की दिशा एवं दशा निर्धारित करने में गुरुजनों का विशेष योगदान होता है। गुरुजन ज्ञान के उजाले से जीवन के अंधकार को दूर कर देते हैं, उनके मार्गदर्शन के बिना व्यक्ति के लिए जीवन में आगे बढ़ना कठिन है। गुरु का आशीर्वाद ही प्राणी मात्र के लिए कल्याणकारी, ज्ञानवर्धक और मंगल करने वाला होता है। यहां तक कि संसार की सम्पूर्ण विद्याएं गुरु की कृपा से ही प्राप्त होती हैं। गुरु पूर्णिमा ऐसे ही सभी महान गुरुजनों को समर्पित है और एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है।
आपको बता दें इस वर्ष *पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 13 जुलाई को सुबह 4 बजे प्रारंभ होगी और 14 जुलाई को मध्य रात्रि में 12 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगी।
गुरु पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं। इस दिन तुलसी जी के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए और उनकी पूजा अर्चना करनी चाहिए। गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र दर्शन अवश्य करें और चंद्र देव को अर्घ्य दें।
गुरु से मंत्र प्राप्त करने के लिए यह दिन श्रेष्ठ है। इस दिन गुरुजनों की सेवा करने का भी बहुत महत्व है।
इसके अलावा इस बात का ध्यान रखें कि गुरु पूर्णिमा के दिन घर को एकदम स्वच्छ रखें। साथ ही इस दिन किसी से कटु शब्दों का प्रयोग न करें, साथ ही विवाद से भी बचें। और इस दिन मांस-मदिरा आदि तामसिक चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।
गुरु देवो भव:।
🙏 ૐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🏻
प्रस्तुतकर्ता :डॉ भैरवसिंह राओल