मैं और मेरे अह्सास
आँखों से छाया हैं पागलपन l
साफ़ दिख रहा है दीवानापन ll
अपनों ने गैरों का चोला पहना l
हर कही दिखता है बेगानापन ll
सब अपनी मस्ती में जी रहे हैं l
ढूंढते हैं जहाँ मे अब अपनापन ll
बेगाने और अजीब हो गये लोग l
किसे सीखाए हम सयानापन ll
३०-६-२०२२सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह