उदासी में चेहरे पर मुस्कान सजाए रहती है
आंखों में आए आंसुओं की वजह तिनका बता देती है
आज भूख नहीं कह सबको भरपेट खिला देती है
रिश्तों को जोड़े रखने की खातिर अपना अहम मिटा देती है
एक स्त्री की इन्हीं बेजोड़ कलाओं के आगे
चंद्रमा की सोलह कलाएं भी फीकी लगती है।।
-Saroj Prajapati