मैं और मेरे अह्सास
चोट दिल पर लगी फिर हम ख़ामोश हुए l
होश मे आने से पहले ही हम बेहोश हुए ll
पर्दानशीं पलभर के लिए बेपर्दा होते l
नजरो का जाम पीते ही मदहोश हुए ll
हुस्न की महफ़िल में मुद्दतों के बाद एक l
प्यारी सी मुस्कराहट से फरामोश हुए ll
एक इशारे की जुस्तजू थी कई दिनों से l
यार के इर्शाद क्या कहा पुरजोश हुए ll
आज गुपचुप ईशारे मे दिल ने दिल से l
मिलते मिलाने के वादे से जोश हुए ll
१०-४-२०२२
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह