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मेरे अपनों ने मुझमें इतनी ख़ामियाँ निकाल दी हैं कि अब मुझमें कोई ख़ामी बची ही नहीं । अपने आख़िर अपने होते हैं ! 😉😉😎 - उषा जरवाल
कुछ लोग उम्मीदें दिल में उतरने की रखते हैं और व्यवहार दिल से उतरने का करते हैं । - उषा जरवाल
घर में बड़ा होने से भी बड़ा नुकसान हो जाता है । औरों की गलती होने पर भी समझदार बताकर समझौता हिस्से में डाल दिया जाता है । - उषा जरवाल
गलत कहते हैं लोग कि खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही चले जाना है । इंसान अपना भाग्य लेकर आता है और कर्म लेकर साथ जाता है । - उषा जरवाल
दिल और आँखों का रिश्ता भी अजीब ही है । जब आँखें खाली थीं तो दिल भरा था और जब आँखें भर आई तो दिल खाली हो गया । - उषा जरवाल
जब भी कोई आपसे कहे - “तुम्हारे जैसी छत्तीस मिलेंगी ।” बस पलटकर उनसे एक बार पूछ लीजिए - “मेरे जैसी ही क्यों चाहिए ?” - उषा जरवाल
जताने को तो सब अपने हैं पर निभाने को कोई नहीं । - उषा जरवाल
जो काम कलम से हो सकता है उसके लिए ज़ुबान को कष्ट क्यों देना । - उषा जरवाल
पिता अकेले नहीं जाते, अपने साथ ले जाते हैं बचपन, चंचलता और खिलखिलाहट । पापा ! आप थे तो ज़िद करना अच्छा लगता था लेकिन अब …कोई ज़िद ही नहीं है । पिता है तो पचपन में भी बचपन का अहसास होता है । - उषा जरवाल
दूसरों से खुद की तुलना करके आप अपना मूल्य कम न करें । - उषा जरवाल
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