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अपने शिक्षकों से कभी भी घृणा न करें । अपने शिक्षकों से घृणा मत कीजिए …. जब वे आपसे अधिक की अपेक्षा करें, क्योंकि उन्हें विश्वास होता है कि आप अगले पड़ाव तक पहुँच सकते हैं। उनसे घृणा मत कीजिए …. जब वे आपको आपकी सीमा से आगे बढ़ाने की कोशिश करते हैं क्योंकि इसका कारण यह है कि वे आपके भीतर छिपी उस विलक्षण प्रतिभा को पहचानते हैं और उस प्रतिभा को तराशकर एक नई उड़ान भरने के लिए तैयार करते हैं । उनके शब्दों से घृणा मत कीजिए …. जब वे आपको डाँटें या किसी बात पर टोकें, वह उनकी कठोरता नहीं, बल्कि आपके लिए उनका छिपा हुआ स्नेह है। वे आपको सम्मान और शिष्टता के साथ विकसित करते हैं, ताकि आप संसार में दृढ़ और स्थिर गति से चल सकें। उनकी याद दिलाने की आदत से घृणा मत कीजिए …. जब वे समय-सीमा बताते हैं, क्योंकि समय एक अमूल्य निधि है । अनमोल, मधुर और अनुपम। उनके क्रोध से घृणा मत कीजिए …. जब वे कपट पर रोष करें, क्योंकि वे आपको ईमानदारी सिखाते हैं, यही जीवन की विजय है। उनकी कठोरता, दृढ़ता और स्वर से घृणा मत कीजिए …. क्योंकि यह संसार कोमल नहीं है । यह आप शीघ्र जान लेंगे। यहाँ तक कि जब एक चॉक खेल में व्यर्थ होती है, तब भी यह सिखाती है कि छोटी-छोटी बातें प्रतिदिन महत्त्व रखती हैं। जब आपके अंक कम आ जाएँ तो उनके सत्य से घृणा मत कीजिए…. वह शिक्षा है । लगातार प्रयास करते रहो, सीखते रहो और आगे बढ़ो। क्योंकि सफलता न तो दी जाती है, न माँगी जाती है, न खरीदी जाती है, वह तो परिश्रम और उनकी दी हुई शिक्षा से अर्जित होती है। अतः अपने शिक्षकों से घृणा मत कीजिए जो कुछ भी वे करते हैं, हर सुधार में उनका स्नेह छिपा होता है। आप उनकी यात्रा, उनके जीवन, उनके दायित्व का हिस्सा हैं, और वे अंततः केवल आपका कल्याण ही चाहते हैं। इस संपूर्ण संसार में पिता के पश्चात केवल शिक्षक ही वह इंसान है जो आपकी पदोन्नति (उनसे बेहतर पद पर) देखकर गर्व का अनुभव करते हैं ।
अपनी प्रशंसा सुनकर प्रसन्न होना उचित है लेकिन जो तुम्हारी कमियाँ बताते हैं, उनसे रूठने की अपेक्षा उन्हें ध्यान से सुनिए क्योंकि वे वही लोग हैं जो आपको त्रुटिरहित बनाकर सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए प्रयासरत हैं ।
वो दर्द देंगे और सिसकियाँ भी देंगे, हम हैं काग़ज़ तो वो कैंचियाँ देंगे । जुगनुओं ने शराब पी ली है, अब वो सूरज को भी गालियाँ देंगे । आज जो वो हमें बैठने भी नहीं देते, एक रोज़ वही हमें कुर्सियाँ देंगे । - उषा जरवाल
गलतियाँ इंसान के मन को भ्रमित कर देती हैं । यक़ीन नहीं होता तो एक बार बिना टिकट के ट्रेन में सफ़र करके देखो, फिर हर काले कोट वाले में आपको टीटी ही नज़र आएगा । 😂 - उषा जरवाल
‘राखी’ महज़ डोर नहीं है रेशम के धागों की, ये डोर है चिर - संचित स्नेहिल रागों की । न स्वार्थ का लेप, न इच्छाओं का अवलंबन, है चट्टान सा मजबूत भाई-बहन का बंधन । कभी पूर्णमासी की भोर तो कभी उजली - सी उषा, खोल देती है दिल में मेरे यादों की मंजूषा । कभी लड़ते - झगड़ते करते थे अठखेलियाँ, कभी तकरार भरी हम बुझाते थे पहेलियाँ । रूठने पर मनुहार में बीते वो सुनहरे पल, जहाँ प्यार का बसेरा था, नहीं था कोई भी छल । फिर न जाने कब हम अचानक से बड़े हो गए, अपने - अपने जीवन की उलझन में कहीं खो गए । वो हक, वो झगड़े, वो बचपन अब कहीं खो गया है, हम बड़े क्या हुए हर रिश्ता अब मेहमान हो गया है । न होती कोई आनाकानी, न चलती मनमर्ज़ियाँ, रिश्ते चुप बैठ गए, बोलने लगी खामोशियाँ । काश ! चुरा पाती बचपन के कुछ पल, जहाँ निश्छल प्रेम की बहती थी निर्झरी हर पल । उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’
अपने वो नहीं जो हमेशा कमियाँ गिनाएँ । अपने वो हैं जो हमें हमारी कमियों के साथ स्वीकार करते हैं और साथ रहकर उन कमियों को दूर करने में साथ निभाते हैं । - उषा जरवाल
मैं जैसी हूँ वैसी ही सही हूँ क्योंकि मैं ये जानती हूँ कि मूल प्रति की कीमत छाया प्रति से अधिक होती है । उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’
बेफिक्र होकर मुस्कुराते रहिए । आपके चिंता करने से समस्याएँ कम नहीं होंगी बल्कि मुस्कुराकर उनका सामना करने से ही आप उन्हें दूर कर सकते हैं । - उषा जरवाल
जुनून मंज़िल तय करता है ख़्वाब नहीं । तेज बारिश आने पर सारे पंछी अपने - अपने घोंसलों में दुबककर बैठ जाते हैं लेकिन बाज ऊँची उड़ान भरकर आनंद उठा रहा होता है । उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’
कुछ लोग सूरज का साथ पाकर भी अदब नहीं भूलते और कुछ जुगनू का साथ पाकर ही मगरुर हो जाते हैं । उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’
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