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हमारी बराबरी ये आज की नई पीढ़ी क्या करेगी ? हमारे तो दसवीं के परिणाम भी अख़बार में छपते थे । - उषा जरवाल😉😂😂😂
बचपन में साइकिल सीखने का इतना जुनून होता था कि साइकिल पर ठीक से पैर तक नहीं पहुँचते थे तो भी ‘कैंचीमार’ साइकिल चलाते हुए गाँव की गलियों में सैर करते थे । जब बचपन में कभी नहीं डरे तो भला बड़े होने पर नया काम सीखने में कैसा डर ? उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’
हो सके तो किसी के मनोरंजन का कारण बनिए, मनोभंजन का कारण तो अपने भी बन जाते हैं । उषा जरवाल ‘उन्मुक्त पंछी’
स्वयं को इतना सबल बनाओ कि दूसरों के संबल की आवश्यकता ही न पड़े । उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’
इस दुनिया में कोई भी संतुष्ट नहीं है क्योंकि …. गरीब को पैसे कमाने की चिंता, अमीर को पैसे सहेजने की चिंता, कुँवारों को शादी करवाने की चिंता, शादीशुदा लोगों को शादी बनाए रखने की चिंता, संतुष्टि चाहिए तो खुद को खोजो, तुम सबसे अनूठी कृति हो । ख़ुद से तुलना करके ख़ुद को बेहतर बनाओ । - उषा जरवाल
अपने विरुद्ध बातें सुनकर मौन रहिए । आपका कार्य स्वयं उत्तर दे देगा । उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’
यदि अंग्रेज़ी भाषा में पकड़ अच्छी नहीं है तो भारतीय अंग्रेजों के बीच शर्माने की ज़रूरत नहीं है । आप हिंदी ऐसी बोलिए कि सामने वाला सिर खुजाने पर मजबूर हो जाए । हिंदी भाषा इतनी दमदार है कि अच्छे - अच्छे अंग्रेज़ों को छठी का दूध याद दिला सकती है ।
मेरे 18 वर्षों के शैक्षणिक कार्यकाल में अनेक राज्य बदले, विद्यालय बदले और हर बार एक नए परिवेश से मैंने एक नई शुरुआत की । मेरी ‘हिंदी भाषा’ ने मुझे हर एक नए स्थान पर मुझे एक नई पहचान दी । एक ऐसी पहचान कि जिस विद्यालय को मैंने आज से 15 वर्ष पहले छोड़ा था, वहाँ के बच्चे और लोग आज भी याद करते हैं । ये मेरे लिए गौरव और सम्मान की बात है जो मैंने केवल ‘हिंदी भाषा’ के कारण ही पाया है । उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’
उम्र गुजरी है माँजते हुए खुद को, साफ़ हैं पर चमक नहीं पाए । उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’
यदि आपके चंद मीठे बोल बोलने से किसी का रक्त बढ़ता है तो यह भी ‘रक्तदान’ है । यदि आपके पीठ थपथपाने से किसी की थकान मिटती है तो यह भी ‘श्रमदान’ है । यदि थाली में उतना ही लें जितना खा सकें और भोजन को व्यर्थ न करें तो यह भी ‘अन्नदान’ है । किसी रोते हुए व्यक्ति को हँसा दो और वो अपने आँसू पोंछ ले तो यह भी ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का एक हिस्सा है ।
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