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समझ ज्ञान से ज़्यादा गहरी होती है इसीलिए आपके बारे में जानना तो सब चाहते हैं पर समझना कोई नहीं चाहता । - उषा जरवाल
प्रश्न : हवा की लहर बनकर तू मेरे दिल की खिड़की न खटखटा, मैं बंद कमरे में तूफ़ान समेटे बैठा हूँ । इस पंक्ति के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है ? उत्तर : पति अपनी महिला मित्र (गर्लफ्रेंड) को मिस्ड कॉल देने से मना कर रहा है क्योंकि पति कमरे में अपनी पत्नी के साथ बैठा है । 😂😂😂 - उषा जरवाल
आप उसे अपनी पसंद बनाइए जो आपमें सकारात्मक परिवर्तन लाने में सक्षम हो पाता है । वरना प्रभावित तो मदारी भी कर लेता है । - उषा जरवाल
चाँद आधा चमके तो ‘आधा - अधूरा’ कहकर नुक़्स निकाले जाते हैं और पूरा चमके तो ‘दाग हैं’ कहकर नुक़्स निकाल दिए जाते हैं । लोगों ने जब चाँद को नहीं छोड़ा तो आप की क्या बिसात है ? इसलिए लोगों की परवाह मत कीजिए । - उषा जरवाल
जो आपसे ईर्ष्या करता हो ...उसकी तरफ़ देखकर थोड़ा - सा मुस्कुरा दो । बस आपकी टेंशन ख़त्म और सामने वाले की शुरु । 😉 - उषा जरवाल
आज के युग में सब बदतमीज़ इंसान से ही तमीज़ से बात करते हैं क्योंकि ख़ुद की तमीज़ उतरने का डर जो लगता है । वरना तमीज़ वालों को तो अक्सर बदतमीज़ भी तमीज़ सिखाने लग जाते हैं । - उषा जरवाल
अगर आप किसी से नाराज़ हुए तो एक बार कोई आपको मना लेगा पर अगर आपने इसे आदत बना लिया तो लोग आपको मनाने की बजाय आपको छोड़ना आसान समझेंगे । इसलिए हर बात पर गुब्बारे की तरह मुँह न फुलाएँ । जनहित में जारी 😂 - उषा जरवाल
जिस इंसान को अपनी गलती का पछतावा ही ना हो तो गलती उस इंसान की नहीं है । गलती आपकी है जो आप उस इंसान को पहचान नहीं पाए । - उषा जरवाल
संस्कार तो हमारे अंदर भी कूट - कूटकर ही भरे हैं बस थोड़ा ज़्यादा कुटने के कारण लोगों को दिखाई नहीं देते । 😎😉 - उषा जरवाल
डॉ. विनोद प्रसून जी द्वारा रचित कविता *बाल दिवस पर देश के बच्चों के नाम.......* बाल दिवस है प्यारे बच्चो, तुम्हें बधाई मन से। भरकर रखना अपनी दुनिया, निश्छल अपनेपन से।। सदा खिलो तुम पुष्पों जैसा, नभ जैसा यश फैले। पंथ कठिन है, चलो सँभलकर, भाव न होवें मैले।। क्या अच्छा है और बुरा क्या इसका ज्ञान तुम्हें हो। अच्छे और बुरे स्पर्शों की पहचान तुम्हें हो।। अच्छे और बुरे लोगों का अंतर तुम्हें पता हो। करे परेशाँ तुमको कोई, झट यह बात बता दो।। अबे-तबे से प्यारे बच्चो बात नहीं तुम करना। मन के शब्दकोश में पावन शब्द हमेशा भरना।। कमरे औ' मोबाइल तक यह बचपन सिमट न जाए। बालसुलभ ले बातें मन में, हर बच्चा मुस्काए।। आभासी दुनिया है झूठी, असली दुनिया जानो। लंबी फ़्रैंड लिस्ट से पहले, अपना घर पहचानो।। उचित हो जितना, उतना ही बस फ़ोन उठाया जाए। वक़्त बचे जो बाक़ी उसको नहीं गँवाया जाए।। ध्यान लक्ष्य पर रखकर नित आगे बढ़ते जाओगे। ऐसा करके जीवन में तुम कभी न पछताओगे।। तुमपर है विश्वास दी गई सीख सदा मानोगे। बदले-बदले युग में अपना बचपन पहचानोगे।।
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