तेरा यूँ मुझे हॅसाकर रूलाना
कुछ समझ नही आ रहा है।
कभी तेरा यूँ प्यार से मेरा माथा चूमना
और आज यूँ निगाहे फेरना
कुछ समझ नही आ रहा।।
कभी तेरा यूँ अपनी बाहो मे महफूज रखना
और आज यूँ जी चुराना समझ नही आ रहा।
तुझे एक दफा देखकर बन जाता है मेरा दिन
और आज यूँ मुझसे दूर जाना कुछ समझ नही आ रहा है।।
मीरा सिंह
-Meera Singh