1 आँचल-ढक पीयूष से, देती जीवन दान।
करें मातृ की वंदना, वही बचाती जान।।
2 दश-आनन के राज्य में, दुखित रहा संसार।
करके दर्शन राम का, हुआ जगत उद्धार।।
3 अलकें बिंदिया चूमकर, देतीं हैं सम्मान ।
नारी की महिमा बड़ी, करता जग गुणगान।।
4 माँ की आँखें देखतीं, पुत्रों का व्यवहार।
नन्हें पैरों को सदा , खूब लुटाया प्यार।।
5 मुरली सोहे अधर में, सजती ब्रज में रास।
राधा-गोपी नाचतीं, छा जाता मधुमास।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
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