मैं और मेरे अह्सास
मिथ्या है सारी मोह माया l
सब पर घेरा इसका साया ll
कर भरोसा अपने आप पे l
छाव देता खुद का छाया ll
जिसने जो बोया वहीं मिला l
कर्म का फल यहाँ पाया ll
रंगीन दुनिया के मेले मे l
धोखा सभी ने है खाया ll
दिखावे का याराना सब l
अपना ही काम मे आया ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह