मौत से अधिक तो कुछ नही आयेगी , जायेगी भी तो जिन्दगी क्या ले जायेगी , टूटना अच्छा है जो भ्रम हो तो , वास्तविक ता तो जर्जरता से बच पायेगी , साया कभी साथ होता नही , उजाले के आते ही छिप जायेगी | बैठी रही ऐंठ मे अब तलक शुक्र होगा ये गाँठें भी खुल जायेंगी |
-Ruchi Dixit