Hindi Quote in Poem by Sudhir Srivastava

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बच्चन जी
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सत्ताइस नवंबर उन्नीस सौ सात को
कायस्थ कुल में पैदा
पिता प्रताप नारायण के घर
मां सरस्वती देवी की कोख से
प्रतापगढ़ ,उ.प्र. में जन्मा बालक
बचपन में बच्चन कहलाया
बड़े प्यार दुलार से।
पारंभिक शिक्षा कायस्थ पाठशाला में
हिंदी, उर्दू की शिक्षा पाई,
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में
अंग्रेजी में एम.ए पास किया,
कैंब्रिज में डब्लू. बी. यीट्स की
कविताओं पर शोध कर
पीएचडी कर नाम किया।
उन्नीस वर्ष की उम्र में
श्यामा के संग ब्याह हुआ,
दस वर्ष ही साथ रहा
फिर श्यामा का निधन हो गया,
पाँच वर्ष के बाद फिर
तेजी सूरी से ब्याह किया,
अमिताभ, अजिताभ के पिता बने
जीवन तब खुशहाल हुआ।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में
प्राध्यापक नियुक्त हुए,
फिर विदेश मंत्रालय में
हिंदी के विशेषज्ञ बने,
हिंदी के लोकप्रिय कवियों में
बच्चन जी गिने गये।
अनगिनत कविताएं लिखी
अनेकों पुस्तकें संग्रह छपवाये,
मधुशाला लिखकर बच्चन ने
दुनिया भर में नाम कमाए
हरवंश राय बच्चन अपना
नाम शिला पर लिखवाए।
राज्यसभा के सदस्य बने
पर राजनीति में घुले नहीं,
उन्नीस सौ छिहत्तर में
शिक्षा और साहित्य क्षेत्र का
पद्मभूषण सम्मान पाये,
उन्नीस सौ अड़सठ में हिन्दी कविता का
साहित्य अकादमी पुरस्कार और
इसी वर्ष में ही बच्चन जी
सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार और
एफ्रो एशियाई सम्मेलन का
कमल पुरस्कार सम्मान भी पाये
बिड़ला फाउण्डेशन ने उनकी
आत्मकथा को मान दिया
जिसके खातिर बच्चन जी को
सरस्वती सम्मान दिया।
अठारह जनवरी दो हजार तीन में
मुंबई में बच्चन जी का निधन हुआ,
कालजयी सरस्वती पुत्र के
युग का जैसे अंत हुआ,
पर बच्चन का नाम धरा पर
सदा सदा के लिए अमर हुआ।
●सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
©मौलिक, स्वरचित,

Hindi Poem by Sudhir Srivastava : 111766541
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