मैं और मेरे अह्सास
मिथ्या जीवन
जिसे देखो जी रहा है मिथ्या जीवन l
फुर्सत ही नहीं के देखे सुन्दर उपवन ll
युगों से गुलों की राह तकता है आँगन l
मुहब्बत का बीज बोके महका दो गुलशन ll
समय के साथ चलने में ही है समझदारी l
सदियों से संसार का नियम है परिवर्तन ll
दर्शिता