मैं और मेरे अह्सास
जो एहसास लिख नहीं पाए l
वो अनकहे लब्ज समज जाए ll
काश मिलन की तडप यू बढ़े l
बिना बुलाए पास दौड़ आए ll
काफी देरसे कौआ बोल रहा है l
काश कासिद उनका संदेशा लाए ll
इसी लम्हे के इंतजार में जीते हैं l
वो राहों मे खड़े हो बाहें फैलाए ll
हर दिन खुशगवार बन जाए ग़र l
आज खुद ही आगोश में समाए ll
दर्शिता