मैं और मेरे अह्सास
शरदी की साँझ बहोत ही सुहानी है l
प्यारे मौसम में खिली हुई जवानी है ll
दो रूहों का संगम होने जा रहा है l
अनूठे प्यार की बेहतरीन निशानी है ll
तरसती रहती थी निगाहें मिलन को l
दिल की बेचैनियों को आसानी है ll
अधूरा ख्वाब मुकम्मल कैसे हुआ है l
सुनो अनकही अनसुनी कहानी है ll
दिले बेक़रार को कुछ तो सुकून मिले l
मुहब्बत की रस्मे मुसलसल निभानी है ll
१९-११-२०२१
दर्शिता