मेरी आँखों की सुकून हो तुम
जब रहती हो मेरे सामने
तो दिल को सुकून मिलता है
जो ना देखूं किसी रोज तुम्हें
तो बैचेनी सी होती है मेरे मन में
जो हँसती हो, कभी मेरी बात पर
तो मेरे होठों पर तुझसे बात करने
की चाहत बस आकर रह जाती है
ख्याल जब भी आती है
मेरे मन में तुम्हारी बातों का
तो मेरे होठों पर एक
हलकी सी मुस्कान आ जाती हैं
जब कभी देखूं तुम्हें हँसते हुए
तो मेरे मन में सतरंगी फूल खिल उठता है
जब भी तेरी खुले बालों को देखता हूँ
तो लगता है जैसे बाग़ में फूलों को
हवा का कोई झोंका सहला रहा है
ऐसा लगता है की तेरी हर एक अदा पर
मेरी ख़ुशी की निशानी है
जब भी तुझे देखता हूँ
तो एक कहानी सी लगती हो
जिसे बार बार पढ़ने को मन करता है
काश की तुम्हें ये बता सकता
मेरी आँखों की सुकून हो तुम.