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तुम्हारी गुफ्तगू मुझे नजदीक ला रही है लगता हैं मोहब्बत से नाता जल्द टूटेगा
बहुत क़रीब रहे हैं , कुछ लोग ज़िंदगी मे हम से! ना गमो को भुलाने दिया, ना खुशीयो को आने दिया!! -Maya
हमने आप का हाल पूछा किसी और से जो की पूछना चाहिए था सीधा आप से और ना आपने कुछ सुना ना कुछ समझा दुश्मन हमे मान बैठे हैं अपने आप से
Maya -Maya
नज़रों से देखो तोह आबाद हैं हम! दिल से देखो तोह बर्बाद हैं हम!! आप अपने होकर खंजर मारा हमे! कैसे कह दे,आप से ज्यादा खराब हैं हम!! -Maya
टपरी की चाय तुम रेस्टोरेंट में चाहोगे! अपनी महबूबा के साथ यहां कैसे आओगे!! .. .. .. मिडिल क्लास स्टूडेंट, रेस्टोरेंट में नही अक्सर टपरी में जाते हैं! उन्हें महबूबा के साथ, साथ पढ़ने के लिए थोड़ा पैसे बचाते हैं! जा सकते हैं रेस्टोरेंट में ऐसा नहीं पर वो स्वाद और महबूबा का साथ को वो भूल नहीं पाते! मेरा बस तुम्हे देखना और मुस्कराना और तुम्हारा वो झट से पिघल जाना और हमारी चाय पे बाते! टपरी के सामने, रेस्टोरेंट्स वे स्वाद सा लगता है देसी मुर्गी विलायती बोल , भाव सा लगता हैं!! -maya
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