.✍नाता है मेरा उस🚩संसकृति से
जिस संसकृतिकी बच्ची गुड़ीया तक👰
भी ना खरीदे बीना दुपट्टे के...!!!!✍
फिर चली ऑघीऑ ये कैसी पश्चिमी लहरकी
उड़ा सरसे पल्लु जिस्मसे संसकृतिकी “रुँह”
फैली हर-सूँ तंग-परहनकी बदबूँ उसपे हुक्का
सिगारकी फ़ेशन चार-सुँ मानौ नालीमें बह गई
लाज शरम..!!!
-Rooh The Spiritual Power