My Wonderful Poem...!!!
आईने के साथ लड़ गई में कल
गुजरती उम्र ही दिखाएं हर पल
काली ज़ुल्फ़ोंमें छाँई सफ़ेद लट
नज़र भी ठहरतीं जा के उसी पर
लकीरें चेहरे की करतीं बयाँ चल
फ़िक्रको धूआँ बना के उड़ाती चल
रोकें न रुके कारवाँ वक़्तकी चौखट
पर ढलते हुस्न का यही तो है पनघट
जवानी आनीं-जानीं है तो है फ़ानी
न इतना इतरा कर अकड़ कर चल
आईना भी देता हिदायत ज़रा सँभल
नशे की डगर उत्तर प्रभुजी से ज़रा डर
मिट्टी के ढाँचे मिट्टी में मिलेंगे पिंगल
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-Rooh The Spiritual Power