My Eventual Poem...!!!
दर-ओ-दिवारों से टकराती आँखें 👀
हर रोज़ एक ही कमरें के तकती ऑंखें
बिस्तर से छत-खिड़की को छूती ऑंखें
घरके बच्चों के उदास चेहरे पढ़ती ऑंखें
खिड़की से सुनसान रास्ते नापती ऑंखें
पोलीससे पीटतें लोगों को देखती ऑंखें
ग़मज़दाँ-दहशतगर्द ख़बरें पढ़ती ऑंखें
टीवी-संवादों से फ़ट के रह जाती ऑंखें
रोज़ मरीज़ों की गिनतीसे काँपतीं ऑंखें
प्रार्थना🙏 में प्रभुको गिड़गिड़ाती ऑंखें
कातिल कोरोना के क़हर से थर्राती ऑंखें
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-Rooh The Spiritual Power