1 अवतार
पाप बढ़ा जब धरा में, प्रभु ने ले अवतार।
अरि-मर्दन है तब किया, जग के तारनहार।।
2 चमत्कार
चमत्कार की है घड़ी, कोविड का व्यवहार ।
टीके का निर्माण कर, मिला जगत से प्यार।।
3 समाधि
मन विचलित है हो गया, देखी अटल समाधि।
राष्ट्रीय पर्व हो सफल, टली मृत्यु की व्याधि।।
4 उजागर
तालिबान को देखकर, हुई उजागर बात।
आश्रित होकर जो जिया, सदा मिला आघात।।
5 अंतर्मन
अंतर्मन की यह व्यथा, भाई है परदेश।
राखी उसे निहारती, मन में भारी क्लेश।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
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