मैं और मेरे अह्सास
सीने में दफन यादो का मेला है l
कई सदियों से दिल ने जेला है ll
दिन तो गूजर जाता है जेसे तैसे l
शाम ढले अब लगता ठेला है ll
आज फिर बाढ़ आई निगाहों में l
सो गालों पे अश्कों का रेला है ll
दर्द का साया ऐसे लिपटा है कि l
देख भीतर रूह तक फैला है ll
हमेशा नाखुश रहीं हैं मुहब्बत l
प्यार गुरु दर्द उसका चेला है ll
दर्शिता