सभी प्रबुद्ध साहित्यकारों के सामने प्रस्तुत हैं, पन्द्रह अगस्त पर कुछ दोहे सादर प्रस्तुत हैं। 🙏🙏🙏🙏
अमृत महोत्सव पर्व यह, हम सबको है हर्ष।
मिलकर इसे मनाइए, आजादी का वर्ष।
जागरूक जनता बनी, उसकी लगी है आस।
जो विकास पर ले चले, रक्षा कर विश्वास।।
कुछ नेता हैं स्वंय भू, इनसे आशा व्यर्थ।
इनका तो निज स्वार्थ है, संग्रह हो बस अर्थ ।।
लोकतंत्र अब प्रौढ़ है, प्रजातंत्र उत्कर्ष।
स्वर्णिम बेला आ गई, हुए पछत्तर वर्ष ।।
सत्ता का हस्तांतरण हर चुनाव के बाद।
सहज भाव से हो रहा, होता नहीं विवाद।।
मतदाता जनता रही, उसने किया चुनाव।
जिसको चाहा है चुना, या पलटा दी नाव।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
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