पंखुरी पंखुरी मन
1) कुछ पल
माना मेरी जिंदगी पर हक हैं तुम्हारा
लेकिन मांगा कुछ वक्त तुम्हारा
दे दो कुछ पल उधार तो
जी जाउँ संसार
ना चाहिए किसी का साथ
ना चाहिए किसी का हाथ
बस चाहिए चंद पलों का साथ
जिसमें जी सकूं
बेख़ौफ बेआस
कुछ समय की दुनिया अपने लिए
कुछ पल मेरे सपनों के लिए
नही मांगा ज्यादा
अपनी ही सांसे मांग रही
अपने ही लिये
माना मेरी जिंदगी पर हक़ तुम्हारा
लेकिन क्या अस्तित्व नहीं मेरा
नही चाहिए मुझे वह मौत
जो चुपचाप हो
जो गुमनाम हो
दुनिया में आए तो कुछ बात हो
जुबां पर लोगों के हमारा नाम हो
दे दो ऐसी मौत के लिये
जिंदगी के कुछ पल मेरे लिये।
सुमन कुमावत