Hindi Quote in Poem by Sudhir Srivastava

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*राजा राममोहन राय*
****************** बाइस मई सन् सत्रह सौ बहत्तर को
ब्राह्मण परिवार में
माँ तारिणी के गर्भ से जन्में थे
रमाकांत सुत प्यारे दुलारे,
बनकर पुरोधा उभरे
सबकी आँखों के बनते गये तारे
राजा राममोहन राय।
भारतीय परंपरा के संवाहक बन
संस्कार को जगाते चले,
और राष्ट्र प्रणेता बन
भारतीयता के पुनर्जागरण का
स्वर सदा गुँजाते बढ़े,
दूरदर्शी, वैचारिकी के पुरोधा
रुढ़वादिता के धुर विरोधी
धुनसाधना के सच्चे,पक्के
स्वतंत्रता, समानता के पक्षधर
ब्रह्म समाज के संस्थापक
भारतीय भाषाओं के उन्नायक
समाज निर्माण के मुखर नायक,
राजा राममोहन राय।
बाल विवाह और सती प्रथा के
मुखर विरोधी बन
कौमुदी संवाद के दम पर
जन जन में अपनी आवाज
पहुँचाने की कोशिशें करते रहे
राजा राममोहन राय।
पंद्रह वर्ष की अल्पायु में ही
संस्कृत, बंगाली, फ़ारसी, के ज्ञानी,
'ईष्ट इंडिया कंपनी' के
अल्पावधि कर्मचारी,
राजा राममोहन राय।
स्वतंत्रता और कुरीतियों की
दोहरी लड़ाई लड़ते रहे
सामाजिक बुराइयों के,
उन्मूलन की नींव मजबूती से
स्थापित कर ही गये
राजा राम मोहनराय।
सत्ताइस सितंबर अठारह सौ तैंतीस को
इंग्लैड की धरती पर
दुनिया से विदा हो गये,
सामाजिक सुधारों के पितामह कहाये
राजा राममोहन राय।
● सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
©मौलिक, स्वरचित

Hindi Poem by Sudhir Srivastava : 111709379
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