मैं और मेरे अह्सास
मेरी खामोशीया की तुम वजह मत पुछो।
मेरी मासूमियत की तुम वज़ह मत पूछो ll
पागलों की तरफ कोई इंतजार कर रहा है l
बेपनाह चाहत की तुम वज़ह मत पूछो ll
खुली किताब की शक्ल में सामने हे वो l
बेइंतहा शराफत की तुम वज़ह मत पूछो ll
बड़े होकर भी बच्चों सी हरक़त करते हो l
नादाँ दिल शरारत की तुम वज़ह मत पूछो ll
कई बार लौट जाते हैं कदम मेरे घर से क्यूँ l
बेवफा से बगावत की तुम वज़ह मत पूछो ll
दर्शिता