Hindi Quote in Poem by Darshita Babubhai Shah

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मैं और मेरे अह्सास

मेरी खामोशीया की तुम वजह मत पुछो।
मेरी मासूमियत की तुम वज़ह मत पूछो ll

पागलों की तरफ कोई इंतजार कर रहा है l
बेपनाह चाहत की तुम वज़ह मत पूछो ll

खुली किताब की शक्ल में सामने हे वो l
बेइंतहा शराफत की तुम वज़ह मत पूछो ll

बड़े होकर भी बच्चों सी हरक़त करते हो l
नादाँ दिल शरारत की तुम वज़ह मत पूछो ll

कई बार लौट जाते हैं कदम मेरे घर से क्यूँ l
बेवफा से बगावत की तुम वज़ह मत पूछो ll

दर्शिता

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111709220
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