Hindi Quote in Poem by Dr. Pruthvi Gohel

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कही निःस्वार्थ भाव से मिल रही मदद।
और कही हो रहा स्वार्थ से भरा व्यापार।
कही कोई बटोर रहा है लोगो की दुवाएँ।
और कही हो रहा दवाओं का भ्रष्टाचार!
कही इंसान महसूस करे खुद को निःशस्त्र।
और कही वो खड़ा हाथ में लिए औज़ार।
बस अब तो बहोत हुआ ये सारा व्यापार।
अब आ जाए कुरुक्षेत्र में, आर हो या पार।
कृष्ण तो दोहराए फिर एक बार गीता सार।
अर्जुन फिर हुआ उठ खड़ा लिए हथियार।

-पृथ्वी गोहेल

-Pruthvi Gohel

Hindi Poem by Dr. Pruthvi Gohel : 111705502
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