My Meaningful Poem...!!!
आजकल सिफँ मैं सही तूम
गलत यहीं जहाँ वालों का अंदाज है
सामने नज़र आने वाला हर
दूसरा शख़्स लगता धोखेबाज़-सा है
क्यों यक़ीन ही तुट गया हैं
क्यों दिलों के फ़ासले बढ़-से गए हैं
अनजाने कि तो बात ही छोड़ो
खुद अपने भी तो पराये-से हो गए हैं
शक-ओ-सूबा की खाईं में हर
चेहरे इतने ज़्यादा गुमशुदाँ-से हो गए हैं
साथ तो रहना बात भी करना
पर दामन यक़ीन से ख़ाली हो गए हैं
क्या जमीन पर आदमीयों की
बस्ती में से इंसान ही ग़ायब हो गए हैं
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