कभी तो शुरुवात करनी होगी
कब तक यूं हीं सोचते रहोगे
कभी तो राह पकड़नी होगी
कब तक यूं हीं बैठे ही रहोगे
ज़िन्दगी एक बार मिलती है
यूं इसको बर्बाद तुम ना करो
उठो और आगे तो बढ़ो तुम
संघर्ष से तुम ऐसे ना डरो
कभी तो हिम्मत करनी पड़ेगी
कब तक यूं हीं रोज़ मरते रहोगे
-अनुभूति अनिता पाठक