My Wonderful Poem...!!!
यारों खुद को खुद ही
सदैव खुश रखिए ...
ये जिम्मेदारी किसी और
को हरगिज़ न दिजिए...
खाना ही जड़ है हर मर्ज़ का
आज़मा के तो देखिए....
खाना ख़ुद ग़लत खा कर
इल्ज़ामात न दिजीए...
हाज़मा अपना खुद परखके
उस मुताबिक़ खाइए...
सेहत खुद ही ख़ुद की दिल
से मन क़ाबू किजीए...
खाने को मन करे बहुत पर
बात दिल की मानिए...
जो नही सजता वो खाना
तर्क कर के तो देखिए..
हकीमों-दाक़तर के झमेले
से ख़ुद ही ख़ुद बचिए...
साथ ही उम्र के तक़ाज़े को भी
नज़र-अंदाज़ न किजीए...
प्रभुजी ही देते समज भले बुरे कीं
समज के जी कर तो देखिए...!!!
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